Tuesday, 3 June 2014

" RaNdoM"

तुझे याद करके वो आंसू बहाना,
 याद आता है मुझे तेरा रूठ जाना ,
वो शब भर मेरा तुझको मनाना ,
तेरा मान जाना गले से लगाना ॥ 

वो बातें तेरी जो ख़त्म न होती ,
मुलाकातें दिन ढले वो जो होती ,
याद आती है अब वो कहानी मुझे ,
तू खुदको कहे रानी और राजा मुझे ॥ 

आँख ये मेरी तुझे देखने को तरसे ,
करें याद तुझको दिन रेन ये बरसे ,
किये थे जो वादे हमने जो उस दिन ,
तुम्हे  याद है या गए भूल हो तुम ॥ 

Wednesday, 25 December 2013

तिरंगा

एक मैला तिरंगा उस छत पर लहरा रहा था ,
देश का हश्र अपने हाल से वो बता रहा था ,
बेबसी ,बेरुखी और गुमनामी का हाल ,
मूक रह बयां किये जा रहा था ।। 

अकड़ के देश प्रेम में उसने लगाया था ,
जिसको खुद को माँ का लाल बताया था ,
लगा के मुझे यहाँ शायद वो भूल गया ,
क्या यही थी भक्ति जो उसने बतलाया था ॥ 

हठ कर बैठा कि मुझे सर मौर बनाना है ,
दुनिआ के सामने खुदको देश भक्त दिखाना है ,
दो दिन निभा न सका खुदको किआ वादा ,
और दावा करता है कि उसी को देख बनाना है ॥ 

नेता सब खामोश ,युवा बेहोश 
और जनता अफ़सोस में है ,
जैसा मैंने आज देखा ,
कुछ ऐसा ही हाल ,तिरंगे का हमारे देश में है ॥ 





Tuesday, 24 December 2013

यादों के सहारे

वक़्त गुज़रा , मैं भी बढ़ता चला गया ,
तेरी यादों के सहारे मैं जीता चला गया,
तू न सही तेरी यादें रही साथ मेरे ,
बस इसी को मेरी इबादत का असर कहता गया ॥ 

मेरी हसरतें बस इतनी ही रहीं हैं सदा ,
तेरी रूह में रहने को ,खुदको मिटाता चला गया,
अधूरी रह गयीं वो ख्वाहिशें मेरी ,
जिसमे मैं तुझे पाने की मन्नते सजाता रहा ॥

याद आती हैं वो शामें आज भी मुझे ,
जिनको मैं रात तक, तेरे साथ बिताता गया ,
हर वक़्त हर पल है ख़याल तेरा मुझे ,
बस तेरे न होने का एहसास मुझे सताता गया ॥ 


तुझे चाहते रहने की ख़ुशी,
 बस यह है मुझे 'अनु ' ,
जब जब किसीने भी  तेरा नाम लिआ,
मेरा भी तेरे साथ ही कहता गया ॥ 

अनुराग यादव 

Saturday, 21 September 2013

शिक्षक ईश्वर है

मेरे अन्दर एक बहुत बड़ा हिस्सा है मेरे गुरु जनों  का ,
जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं आपके बीच इतनी मजबूती से अपनी कोई भी बात रख पाता हूँ-
इस शिक्षक दिवस पर एक काव्य रचना मेरे द्वारा मेरे गुरुजनों को समर्पित -

रोशन करने को कल मेरा ,
जिसने खुदको है लगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

झूठ ,छल -कपट , द्वेष से रहित ,
सत्य मार्ग मुझे दिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

हम दींन-हीन नादान परिंदे ,
जग की समझ कहाँ हमको ,
इस जग से लड़ने की शक्ति दी ,
सब कुछ तुमने ही सिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

शिक्षा की ज्योति को,
तुमने हर द्वार जलाया ,
अन्धकार अशिक्षा को ,
भारत से दूर भगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

जाति-धर्म  से ऊपर उठ के ,
दिल से दिल मिलवाया ,
चाणक्य गुरु वशिष्ठ से अब तक ,
तुमने जग में नाम कमाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

गुरुवर आप सबको आज ,
नमन करता " अनुराग  "
आप रहे तो यह उपवन ,
एक दिन बन जायेगा बाग़ ||

" मन मेरा "

तेरी याद तो बस एक बहाना है ,इन अश्को के छलक जाने का ,
असली मकसद है इनका ,मुझे तेरी याद दिलाने का ॥ 
खुद ने दिया है इनको काम एक , मुझे शायद यूँ सताने का ,
इसीलिए न दिया एक मौका मुझे तुझको यह बताने का ॥ 

कि ,

तेरी याद, न तू, न मेरी तन्हाई , मेरा सब्र तोड़ पायेगी ,
वादा एक आशिक का था ,मेरी आशिकी तुझे रुलाएगी ॥ 
लौट कर जब भी तू अब मेरे पास यूँ आएगी ,
मैं तो वही रहूँगा लेकिन  वो नजाकत शायद ही आएगी ॥ 

बताया तुझे कितना की प्रेम डोर नाजुक होती है,
तेरी याद में मेरी अंखिया रज  रज रोटी है ,
तनहा बिन तेरी जीना मुश्किल अब रहता है ,
तेरा दीदार रहे बस मन यह मेरा कहता है ॥ 




Thursday, 8 August 2013

1.

"शाम अगर जल्दी ढल जाए तबियत घबराती है,
एक समय के बाद तुम्हारी आदत चिल्लाती है ,
जो बेचैनी सिर्फ तुम्हारे होने पर होती थी 
हम दोनों जब अलग हो गए क्यूँ आती-जाती है ..?

kasam se..!!

चाहते नहीं हैं तुमको खोना ,
पर एक डर हर पल सताता है ,
आज तक जो न मैंने चाहा,
वोह खुद खुदा से हो  जाता है ॥ 

यादो में आपकी दिन बिताते है ,
हमे न पता की तुम्हे कितना चाहते है ,
हर पल हर वक़्त नज़रों में ,
हसरत आपकी पाते हैं ,
ख्वावो में आपके सदा,
 खुदको उलझा पाते हैं 
 न जाने क्या खता हम ,
हर बार कर जाते हैं ,
गुन्हा भी हम नहीं करते ,
फिर भी गुन्हेगार बताये जाते हैं ॥ 

चल तू सुन ,
हाँ गुन्हा करते हम हैं,
एक अप्सरा को पाने की हसरत ,
रखते हम हैं ,
छु न पायेगा उसे कोई गम 'अनु'
खुदसे आज यह कसम करते हम हैं ॥