Tuesday, 24 December 2013

यादों के सहारे

वक़्त गुज़रा , मैं भी बढ़ता चला गया ,
तेरी यादों के सहारे मैं जीता चला गया,
तू न सही तेरी यादें रही साथ मेरे ,
बस इसी को मेरी इबादत का असर कहता गया ॥ 

मेरी हसरतें बस इतनी ही रहीं हैं सदा ,
तेरी रूह में रहने को ,खुदको मिटाता चला गया,
अधूरी रह गयीं वो ख्वाहिशें मेरी ,
जिसमे मैं तुझे पाने की मन्नते सजाता रहा ॥

याद आती हैं वो शामें आज भी मुझे ,
जिनको मैं रात तक, तेरे साथ बिताता गया ,
हर वक़्त हर पल है ख़याल तेरा मुझे ,
बस तेरे न होने का एहसास मुझे सताता गया ॥ 


तुझे चाहते रहने की ख़ुशी,
 बस यह है मुझे 'अनु ' ,
जब जब किसीने भी  तेरा नाम लिआ,
मेरा भी तेरे साथ ही कहता गया ॥ 

अनुराग यादव 

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