Wednesday, 25 December 2013

तिरंगा

एक मैला तिरंगा उस छत पर लहरा रहा था ,
देश का हश्र अपने हाल से वो बता रहा था ,
बेबसी ,बेरुखी और गुमनामी का हाल ,
मूक रह बयां किये जा रहा था ।। 

अकड़ के देश प्रेम में उसने लगाया था ,
जिसको खुद को माँ का लाल बताया था ,
लगा के मुझे यहाँ शायद वो भूल गया ,
क्या यही थी भक्ति जो उसने बतलाया था ॥ 

हठ कर बैठा कि मुझे सर मौर बनाना है ,
दुनिआ के सामने खुदको देश भक्त दिखाना है ,
दो दिन निभा न सका खुदको किआ वादा ,
और दावा करता है कि उसी को देख बनाना है ॥ 

नेता सब खामोश ,युवा बेहोश 
और जनता अफ़सोस में है ,
जैसा मैंने आज देखा ,
कुछ ऐसा ही हाल ,तिरंगे का हमारे देश में है ॥ 





Tuesday, 24 December 2013

यादों के सहारे

वक़्त गुज़रा , मैं भी बढ़ता चला गया ,
तेरी यादों के सहारे मैं जीता चला गया,
तू न सही तेरी यादें रही साथ मेरे ,
बस इसी को मेरी इबादत का असर कहता गया ॥ 

मेरी हसरतें बस इतनी ही रहीं हैं सदा ,
तेरी रूह में रहने को ,खुदको मिटाता चला गया,
अधूरी रह गयीं वो ख्वाहिशें मेरी ,
जिसमे मैं तुझे पाने की मन्नते सजाता रहा ॥

याद आती हैं वो शामें आज भी मुझे ,
जिनको मैं रात तक, तेरे साथ बिताता गया ,
हर वक़्त हर पल है ख़याल तेरा मुझे ,
बस तेरे न होने का एहसास मुझे सताता गया ॥ 


तुझे चाहते रहने की ख़ुशी,
 बस यह है मुझे 'अनु ' ,
जब जब किसीने भी  तेरा नाम लिआ,
मेरा भी तेरे साथ ही कहता गया ॥ 

अनुराग यादव