Saturday, 21 September 2013

शिक्षक ईश्वर है

मेरे अन्दर एक बहुत बड़ा हिस्सा है मेरे गुरु जनों  का ,
जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं आपके बीच इतनी मजबूती से अपनी कोई भी बात रख पाता हूँ-
इस शिक्षक दिवस पर एक काव्य रचना मेरे द्वारा मेरे गुरुजनों को समर्पित -

रोशन करने को कल मेरा ,
जिसने खुदको है लगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

झूठ ,छल -कपट , द्वेष से रहित ,
सत्य मार्ग मुझे दिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

हम दींन-हीन नादान परिंदे ,
जग की समझ कहाँ हमको ,
इस जग से लड़ने की शक्ति दी ,
सब कुछ तुमने ही सिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

शिक्षा की ज्योति को,
तुमने हर द्वार जलाया ,
अन्धकार अशिक्षा को ,
भारत से दूर भगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

जाति-धर्म  से ऊपर उठ के ,
दिल से दिल मिलवाया ,
चाणक्य गुरु वशिष्ठ से अब तक ,
तुमने जग में नाम कमाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||

गुरुवर आप सबको आज ,
नमन करता " अनुराग  "
आप रहे तो यह उपवन ,
एक दिन बन जायेगा बाग़ ||

" मन मेरा "

तेरी याद तो बस एक बहाना है ,इन अश्को के छलक जाने का ,
असली मकसद है इनका ,मुझे तेरी याद दिलाने का ॥ 
खुद ने दिया है इनको काम एक , मुझे शायद यूँ सताने का ,
इसीलिए न दिया एक मौका मुझे तुझको यह बताने का ॥ 

कि ,

तेरी याद, न तू, न मेरी तन्हाई , मेरा सब्र तोड़ पायेगी ,
वादा एक आशिक का था ,मेरी आशिकी तुझे रुलाएगी ॥ 
लौट कर जब भी तू अब मेरे पास यूँ आएगी ,
मैं तो वही रहूँगा लेकिन  वो नजाकत शायद ही आएगी ॥ 

बताया तुझे कितना की प्रेम डोर नाजुक होती है,
तेरी याद में मेरी अंखिया रज  रज रोटी है ,
तनहा बिन तेरी जीना मुश्किल अब रहता है ,
तेरा दीदार रहे बस मन यह मेरा कहता है ॥