मेरे अन्दर एक बहुत बड़ा हिस्सा है मेरे गुरु जनों का ,
जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं आपके बीच इतनी मजबूती से अपनी कोई भी बात रख पाता हूँ-
इस शिक्षक दिवस पर एक काव्य रचना मेरे द्वारा मेरे गुरुजनों को समर्पित -
रोशन करने को कल मेरा ,
जिसने खुदको है लगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||
झूठ ,छल -कपट , द्वेष से रहित ,
सत्य मार्ग मुझे दिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||
हम दींन-हीन नादान परिंदे ,
जग की समझ कहाँ हमको ,
इस जग से लड़ने की शक्ति दी ,
सब कुछ तुमने ही सिखलाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||
शिक्षा की ज्योति को,
तुमने हर द्वार जलाया ,
अन्धकार अशिक्षा को ,
भारत से दूर भगाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||
जाति-धर्म से ऊपर उठ के ,
दिल से दिल मिलवाया ,
चाणक्य गुरु वशिष्ठ से अब तक ,
तुमने जग में नाम कमाया ,
शिक्षक वह ईश्वर है जिसने ,
मेरा पथ प्रशस्त कराया ||
गुरुवर आप सबको आज ,
नमन करता " अनुराग "
आप रहे तो यह उपवन ,
एक दिन बन जायेगा बाग़ ||