Saturday, 10 March 2012

"anjAAna-anjAAni"

कहने को बहुत अलफ़ाज़ हैं यूँ तो ,
करने को बहुत सी बातें हैं,
दिन ढले न अब उसके बिना,
न कटती  तनहा रातें हैं,
इन काली काली रातों में
तूफानों में बरसतो में,
एक पगली लड़की की यादें,
पास मेरे यूँ आती हैं,
फिर  दूर यह मुझसे जाती हैं,
यह दिल खली करके न जाने क्यूँ,
मुझको तनहा कर जाती हैं,
दस्तक दे दिल के दरवाज़े पर,
चुपके से वोह आती है,
कहती है हौले से कानो में,
की मुझ वोह इतना चाहती है..
दिन रात वोह मुझको सताती है,
दुनिया से भी घबराती है,
है पता उसे मालूम मुझे,
एक अलग मिसाल अब देनी है,
दुनिया को अब समझाना मुझो भरी लगता है,
उसके बिन एक पल भी जीना 'अनु'  ,
मुझको गद्दारी लगता है......

" Bachपन "

खुश रहते थे कितना जब हम बच्चे कहलाये जाते थे,
कभी किसी खिलोने की जिद कर दी तो ,
कितने प्यार से फुसलाये जाते थे...
हसने को मिल जाती थी हजारो वजह ,
आज वही मुस्कराहट धुंडने में अरसे बीत जाते हैं ,
खो जाते हैं वक़्त की आंधी में हम ,
अरसे यूँ ही बीतते जाते हैं,
अधूरी रह जाती हैं लाखो हसरते,
हजारो पूरी भी हो जाती हैं,
पा जाते हैं वोह जो अपना है यहाँ,
जो न हासिल हो वोह सपना है यहाँ,
वक़्त तोह मंजिल धुंडने में ही निकल जायेगा,
चल साथ मेरे चार पल जी  ले 'अनु',
यह पल कल न आएगा...