Thursday, 8 August 2013

1.

"शाम अगर जल्दी ढल जाए तबियत घबराती है,
एक समय के बाद तुम्हारी आदत चिल्लाती है ,
जो बेचैनी सिर्फ तुम्हारे होने पर होती थी 
हम दोनों जब अलग हो गए क्यूँ आती-जाती है ..?

kasam se..!!

चाहते नहीं हैं तुमको खोना ,
पर एक डर हर पल सताता है ,
आज तक जो न मैंने चाहा,
वोह खुद खुदा से हो  जाता है ॥ 

यादो में आपकी दिन बिताते है ,
हमे न पता की तुम्हे कितना चाहते है ,
हर पल हर वक़्त नज़रों में ,
हसरत आपकी पाते हैं ,
ख्वावो में आपके सदा,
 खुदको उलझा पाते हैं 
 न जाने क्या खता हम ,
हर बार कर जाते हैं ,
गुन्हा भी हम नहीं करते ,
फिर भी गुन्हेगार बताये जाते हैं ॥ 

चल तू सुन ,
हाँ गुन्हा करते हम हैं,
एक अप्सरा को पाने की हसरत ,
रखते हम हैं ,
छु न पायेगा उसे कोई गम 'अनु'
खुदसे आज यह कसम करते हम हैं ॥