Friday, 3 August 2012

adhhora sath

जाग रहा हूँ  मैं नींद तमको भी कहाँ है ,
जाग रहा साथ अपने  ये सारा जहाँ है l
उम्मीद है एक तेरा साथ फिर से पाने की,
सोचा जो जहाँ था उसको खूबसूरत बनाने की,
पर यह हो न सकेगा इस जनम में शायद,
उम्मीद  है खुदा से एक नया जहाँ बसाने  की,
अपने अध्होरे ख्वाब सजाने की,
तेरा साथ फिर से पाने की...!!